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Home>>Kavita>>पिता दिवस पर कविता 2019– Fathers Day par Kavita in Hindi
पिता दिवस पर कविता 2019– Fathers Day par Kavita in Hindi
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पिता दिवस पर कविता 2019– Fathers Day par Kavita in Hindi

Rupesh GoyalJune 15, 20190

पिता दिवस पर कविता: फादर्स डे विश्व भर में जून की तीसरे रविवार को मनाया जाता है इस दिन का अहम उद्देश्य पिता का उनके बच्चो के जीवन में दिए जाने वाले योगदान का सम्मान करना है | बहुत से लोग बोलते है की पिता की डेफिनेशन क्या हो सकती है लेकिन मेरा मानना है की पिता वो सब है जो एक माँ को भी अपने ह्रदय में कहि न कहि समेट कर रखते है लेकिन की प्रदर्शित नहीं करते | पिता जी की एक बात याद आती है की पापा की २१ वर्षो की पिटाई मुझे वो नहीं सीखा पायी जो उनके दो आंसू सीखा गए | यह पोस्ट “पिता दिवस पर कविता – Fathers Day par Kavita in Hindi” शेयर कर रहे जिसे आप अपने माता पिता के साथ आसानी से शेयर कर सकते है |

पिता दिवस पर कविता

आपकी आवाज मेरा सुकून है,
आपकी खामोशी, एक अनकहा संबल ।
आपके प्यार की खुशबू जैसे,
महके सुगंधित चंदन।
आपका विश्वास,मेरा खुद पर गर्व ।
दुनिया को जीत लूं, फिर नहीं कोई हर्ज ।
आपकी मुस्कान, मेरी ताकत,
हर पल का साथ, खुशनुमा एहसास
दुनिया में सबसे ज्यादा,
आप ही मेरे लिए खास

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”
“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”
“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”

“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”
“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”
“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”

हैप्पी फादर्स डे पर कविता 2019

प्यार का सागर ले आते
फिर चाहे कुछ न कह पाते
बिन बोले ही समझ जाते
दुःख के हर कोने में
खड़ा उनको पहले से पाया
छोटी सी उंगली पकड़कर
चलना उन्होंने सीखाया
जीवन के हर पहलु को
अपने अनुभव से बताया
हर उलझन को उन्होंने
अपना दुःख समझ सुलझाया
दूर रहकर भी हमेशा
प्यार उन्होंने हम पर बरसाया
एक छोटी सी आहट से
मेरा साया पहचाना,
मेरी हर सिसकियों में
अपनी आँखों को भिगोया
आशिर्वाद उनका हमेशा हमने पाया
हर ख़ुशी को मेरी पहले उन्होंने जाना
असमंजस के पलों में,
अपना विश्वाश दिलाया
उनके इस विश्वास को
अपना आत्म विश्वास बनाया
ऐसे पिता के प्यार से
बड़ा कोई प्यार न पाया
पापा,
आपकी शुक्रगुजार है,
मेरी हर एक सांस …. ।।

पिता दिवस पर कविता हिंदी में

पिता दिवस पर कविता 2019– Fathers Day par Kavita in Hindi

जिन्दगी तो मेरी कट रही है आपके बाद भी….
मगर आप के बिन जीने में वो बात नहीं…
उपर से तो सब मेरे अपने ही अपने है…
मगर आप की तरह अन्दर से कोई मेरे साथ नही…
ख्याल सब रखते है मेरा अपने तरीके से अच्छी तरह…
म्गर अपसे जिद करने का माजा अब आता नहीं…
लडाईयां तो अब भी होती है घर में हमारे…
मगर आपसे वो मीठा मीठा लडने का मजा कोई दे पाता नहीं…
मै आज भी शाम को दरवाजे पे नजरें टिकाये रहती हूं…
आयेंगे अभी बाबा चॉकलेट और तोफे ले के मै अपने से दिल से बार बार कहती हूं…
मगर जब देखती हूं आस आस आप नहीं होते…
तब सच जानियें आपके ये बच्चे छिप छिप के अकेले में है बहुत रोते..
कोई भूल थी अगर मेरी तो एक दफा कहते मुझे…
ऐसे अकेला छोड जाना कोई अच्छी बात नहीं….

आज तो पापा मंजिल भी है, दम भी है परवाजों में
एक आवाज नहीं है लेकिन, इतनी सब आवाजों में
सांझ की मेरी सैर में हम-तुम, साथ में मिल कर गाते थे
कच्चे-पक्के अमरूदों को, संग-संग मिल कर खाते थे
उन कदमों के निशान पापा, अब भी बिखरे यहीं-कहीं
कार भी है, एसी भी है, पर अब सैरों में मज़ा नहीं
कोई नहीं जो आंसू पोछें, बोले पगली सब कर लेंगे
पापा बेटी मिलकर तो हम, सारे रस्ते सर कर लेंगे
इतनी सारी उलझन है और पप्पा तुम भी पास नहीं
ये बिटिया तो टूट चुकी है, अब तो कोई आस नहीं
पर पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
मेरे पास जो आपकी सीख है, मैं उससे ही तर जाऊंगी
फिर से अपने आंगन में हम साथ में मिल कर गाएंगे
देखना अपने मौज भरे दिन फिर से लौट के आएंगे

पिता दिवस पर कविता 2019

पिता एक उम्मीद है एक आस है,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त और अंदर से नरम है,
उसके दिल में दफन कई मरम है,
पिता संघर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला बिछौना है,
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है,
सबको बराबर का हक़ दिलाता एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है,
इसी में तो माँ और बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर है, पिता जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर हैं।

Fathers Day par Kavita in Hindi

नन्हीं सी आँखें और मुड़ी हुई उँगलियाँ थी,
ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी,
नंगे से शरीर पर नया कपड़ा पहनाता था,
ईद-विद की समझ ना थी पर फिर भी मेरे साथ मनाता था,
घर में खाने की कमी थी पर FD में पैसा जुड़ रहा था,
उसके खुद के सपने अधूरे थे,
और मेरे लिए सपने बुन रहा था,
ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी,
वक्त कटा साल बना,
पर तब भी सबसे अनजान था,
पर मैं फिर भी उसकी जान था,
बिस्तर को गिला करना हो या फिर रोना,
एक बाप ही था जिससे छिना था मैंने उसका सोना,
सुबह होने तक फिर गोद में खिलाता,
झूलों को हीलाता, फिर दिन में कमाता,
फिर शाम में चला आता,
कभी खुद से परेशां तो,
कभी दुनिया का सताया था,
एक बाप ही था जिसने मुझे रोते हुए हँसाया था,
अल्फाजों से तो गूंगा था मैं,
पर वो मेरे इशारे समझ रहा था,
मैं खुद इस बात से हैरान हूँ आज,
की कल वो मुझको किस तरह पढ़ रहा था,
अब्बा तो छोड़ो यार अभी तो आ भी निकला नहीं था,
पर वो मेरी हर ख्वाहिश को पूरा कर रहा था,
और मैं भी अब उसके लाड़-प्यार में अब ढ़लने लगा था,
घर से अब वो कब निकल ना जाए,
बस उसके क़दमों पर नजरें रखने लगा था,
मुद्दें तो हजार थे बाजार में उसके पास,
और कब ढल जायेगा सूरज उसको इसका इंतजार था,
और मैं भी दरवाजे की चौखट को ताकता रहता था,
जब होती थी दस्तक तो वोकर से झांकता रहता था,
तब देखकर उसकी शक्ल में दूर से चिल्लाता था,
इशारों से उसको अपने करीब बुलाता था,
वह भी छोड़-छाड़ के सबकुछ,
मुझे अपने सीने से लगाता था,
वह करतब दिखाता था,
मेरी एक मुस्कान के लिए,
कभी हाथी तो कभी घोड़ा बन जाता था,
और सो संकू रात भर सुकून से,
इसलिए पूरी रात एक करवट से गुजारता था,
पर वो बचपन शायद अब सो चूका था,
और मैं जवानी की देहलीज पर कदम रखने लगा था,
उसकी क़ुरबानी को उसका फर्ज समझने लगा था,
चाहे वो फिर खुद बिना पंखें के सोना या मुझे हवा में सुलाना,
या फिर ईद का वो खुद पूराना कपडा पहनना,
और मुझे नए कपडे पहनाना,
या फिर तपते बुखार में माथे पर ठंडी पट्टी रखना हो,
या फिर मेरी हर जिद के आगे झुक जाना,
वो बचपन था वो गुजर गया,
वो रिश्ता था और वो सिकुड़ गया,
और मैं उस क़ुरबानी के बोझ को उठा नहीं पाया,
इसलिए मैं वो शहर कही दूर छोड़ आया,
नए शहर की हवा मुझे पे चढ़ने लगी थी,
अपने बाप की हर नसीहत मुझे बचपना लगने लगी थी,
काम जो मिल गया, पैसा जो आने लगा,
क्या जरूरत है बाप को ये सोच मुझे में पलने लगी थी,
और उधर मेरा बाप बैचेन था,
की कुछ रोज तो घर आजा beta,
बस यही था उसकी फरयाद में,
और मैं उससे हिसाब लेने लगा था,
जो दुनिया का कर्जदार बन चूका था,
क्या जरूरत है तुम्हें इतने पैसे की अब्बू,
अब ये सवाल करने लगा था,
अब घडी का कांटा फिर पलट चूका था,
कल तक मैं किसी का beta था,
आज किसी का बाप बन चूका था,
और हसरतों का स्वटर मैं भी बुनने लगा था,
कल क्या करेगा मेरा beta मैं भी यही सोचने लगा था,
दुनिया में ना उससे कोई आगे था,
ना कोई अपना था सब पराया था,
बस वही एक सपना था,
तब मुझ एक जज्बात उबलने लगा था,
जिस जज्बात से में हमेशा अनजान था,
की कल क्या गुजरी होगी मेरे baap पे,
अब मुझे ये समझ आने लगा था,
खुदा की एक मूरत होता है बाप,
जिसे लफ्जों में ना भुना जाए,
और जो कलमों से ना लिखा जाए वो होता है बाप,
जो रोते हुए को हंसा दें,
और खुद को मजदूर बनाकर,
तुम्हें खड़ा कर दे वो होता है बाप।

Fathers Day par Kavita in Hindi

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एक बचपन का ज़माना था,
जिस में खुशियों का खजाना था,
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दीवाना था,
खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का कोई ठिकाना था,
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था,
माँ की कहानी थी,
परियों का फ़साना था,
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था,
रोने की कोई वजह ना थी,
और मैं अपने “पापा” का दीवाना था।

फादर्स डे पर कविता इन हिंदी

 

आज भी वो प्यारी मुस्कान याद आती है,
जो मेरी शरारतों से मेरे पापा के चेहरे पर खिल जाती थी,
अपने कन्धों पर बैठा के वो मुझे दुनिया की सैर कराते थे,
जहाँ भी जाते मेरे लिए ढेर सारे तोहफे लाते थे,
मेरे हर जन्मदिन पर वो मुझे साथ मंदिर ले जाते थे,
मेरे result का बखान पूरी दुनिया में कर जाते थे,
मेरे जिंदगी के सारे सपने उनकी आँखों में पल रहे थे,
मेरे लिए खुशियों का आशियाना वो हर पल बन रहे थे,
मेरे सपने उनके साथ चले गये मेरे पापा मुझे छोड़ गये,
अब आँखों में शरारतें नहीं बस आँसू ही दीखते हैं।

पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी
आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
तुमने ही तो सिखलाया था, ये संसार तो छोटा है
तेरे पंखों में दम है तो, नील गगन भी छोटा है
कोई न हो जब साथ में तेरे, तू बिलकुल एकाकी है
मत घबराना बिटिया, तेरे साथ में पप्पा बाकी हैं
पीछे हटना, डरना-झुकना, तेरे लिए है नहीं बना
आगे बढ़ कर सूरज छूना, तेरी आंख का है सपना
तुझको तो सूरज से आगे, एक रस्ते पर जाना है
मोल है क्या तेरे वजूद का दुनिया को बतलाना है
आज तो पापा मंजिल भी है, दम भी है परवाजों में
एक आवाज नहीं है लेकिन, इतनी सब आवाजों में
सांझ की मेरी सैर में हम-तुम, साथ में मिल कर गाते थे
कच्चे-पक्के अमरूदों को, संग-संग मिल कर खाते थे
उन कदमों के निशान पापा, अब भी बिखरे यहीं-कहीं
कार भी है, एसी भी है, पर अब सैरों में मज़ा नहीं
कोई नहीं जो आंसू पोछें, बोले पगली सब कर लेंगे
पापा बेटी मिलकर तो हम, सारे रस्ते सर कर लेंगे
इतनी सारी उलझन है और पप्पा तुम भी पास नहीं
ये बिटिया तो टूट चुकी है, अब तो कोई आस नहीं
पर पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
मेरे पास जो आपकी सीख है, मैं उससे ही तर जाऊंगी
फिर से अपने आंगन में हम साथ में मिल कर गाएंगे
देखना अपने मौज भरे दिन फिर से लौट के आएंगे

Happy Fathers Day par Kavita in Hindi

प्यारे पापा सच्चे पापा
बच्चों के संग बच्चे पापा
करते हैं पूरी हर इच्छा
मेरे सबसे अच्छे पापा
पापा ने ही तो सिखलाया
हर मुश्किल में बनकर साया
जीवन जीना क्या होता है
जब दुनिया में कोई आया
उंगली पकड़कर सिखलाता
जब ठीक से चलना न आता
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए
पापा ही सहारा बन जाता
प्यारे पापा सच्चे पापा
बच्चों के संग बच्चे पापा

“कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”
“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”
“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”
“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”
“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”
“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”

जाते जाते वो अपने जाने का गम दे गये…
सब बहारें ले गये रोने का मौसम दे गये…
ढूंढती है निंगाह पर अब वो कही नहीं…
अपने होने का वो मुझे कैसा भ्रम दे गये…
मुझे मेरे पापा की सूरत याद आती है…
वो तो ना रहे अपनी यादों का सितम दे गये…
एक अजीब सा सन्नाटा है आज कल मेरे घर में…
घर की दरो दिवार को उदासी पेहाम दे गये…
बदल गयी है अब तासीर, तासीरी जिन्दगी की…
तुम क्या गये आंखो में मन्जरे मातम दे गये…

फादर्स डे पर कविता इन हिंदी

जिन्दगी तो मेरी कट रही है आपके बाद भी….
मगर आप के बिन जीने में वो बात नहीं…
उपर से तो सब मेरे अपने ही अपने है…
मगर आप की तरह अन्दर से कोई मेरे साथ नही…
ख्याल सब रखते है मेरा अपने तरीके से अच्छी तरह…
म्गर अपसे जिद करने का माजा अब आता नहीं…
लडाईयां तो अब भी होती है घर में हमारे…
मगर आपसे वो मीठा मीठा लडने का मजा कोई दे पाता नहीं…
मै आज भी शाम को दरवाजे पे नजरें टिकाये रहती हूं…
आयेंगे अभी बाबा चॉकलेट और तोफे ले के मै अपने से दिल से बार बार कहती हूं…
मगर जब देखती हूं आस आस आप नहीं होते…
तब सच जानियें आपके ये बच्चे छिप छिप के अकेले में है बहुत रोते..
कोई भूल थी अगर मेरी तो एक दफा कहते मुझे…
ऐसे अकेला छोड जाना कोई अच्छी बात नहीं…..

वो पिता ही होता है
जो अपने बच्चो को अच्छे
विद्यालय में पढ़ाने के लिए
दौड भाग करता है…
उधार लाकर डोनेशन भरता
है, जरूरत पड़ी तो किसी के भी
हाथ पैर भी पड़ता है, वो पिता होता हैं ।।
हर कोलेज में साथ साथ
घूमता है, बच्चे के रहने के
लिए होस्टल ढुँढता है…
स्वतः फटे कपडे पहनता है
और बच्चे के लिए नयी जीन्स
टी-शर्ट लाता है, वो पिता होता है ।।
खुद खटारा फोन वपरता है पर
बच्चे के लिए स्मार्ट फोन लाता है…
बच्चे की एक आवाज सुनने के
लिए, उसके फोन में पैसा भरता है, वो पिता होता है ।।
बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय पर
वो नाराज़ होता है और गुस्से
में कहता है सब ठीक से देख
लिया है ना, “आपको कुछ
समजता भी है?” यह सुन कर
बहुत रोता है, वो पिता होता हैं ।।
बेटी की विदाई पर दिल की
गहराई से रोता है,
मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथ
जोड़ कर कहता है, वो पिता होता है ।।

Happy Fathers Day par Kavita in Hindi

प्यारे पापा सच्चे पापा,
बच्चों के संग बच्चे पापा
करते हैं पूरी हर इच्छा,
मेरे सबसे अच्छे पापा
पापा ने ही तो सिखलाया,
हर मुश्किल में बन कर साया
जीवन जीना क्या होता है,
जब दुनिया में कोई आया
उंगली को पकड़ कर सिखलाता,
जब पहला क़दम भी नहीं आता
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए ,
पापा ही सहारा बन जाता
जीवन के सुख-दुख को सह कर,
पापा की छाया में रह कर
बच्चे कब हो जाते हैं बड़े,
यह भेद नहीं कोई कह पाया
दिन रात जो पापा करते हैं,
बच्चे के लिए जीते मरते हैं
बस बच्चों की ख़ुशियों के लिए,
अपने सुखो को हर्ते हैं
पापा हर फ़र्ज़ निभाते हैं,
जीवन भर क़र्ज़ चुकाते हैं
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए,
अपने सुख भूल ही जाते हैं
फिर क्यों ऐसे पापा के लिए,
बच्चे कुछ कर ही नहीं पाते
ऐसे सच्चे पापा को क्यों,
पापा कहने में भी सकुचाते
पापा का आशीष बनाता है,
बच्चे का जीवन सुखदाइ ,
पर बच्चे भूल ही जाते हैं ,
यह कैसी आँधी है आई
जिससे सब कुछ पाया है,
जिसने सब कुछ सिखलाया है
कोटि नम्न ऐसे पापा को,
जो हर पल साथ निभाया है
प्यारे पापा के प्यार भरे’
सीने से जो लग जाते हैं
सच्च कहती हूँ विश्वास करो,
जीवन में सदा सुख पाते हैं

आप के कमी खलती है मुझे
ये खालीपन तड़पता है मुझे
बस यु ही यादे दिल मे समेटे
वक़्त गुज़र जाता है
अब पता चलता है कि
ज़िम्मेदारी का बोज कितना भरी है
खुद से ज्यादा
अपनों कि खुशिया प्यारी है
दौड़ने पड़ते है कदम
पकड़ने को ज़िंदगी कि रफ़्तार
आज गुज़र रहा है और
कल कि तैयारी है
आप कि मुश्किलों का
मुझे अब एहसास होता है
दुनिया होती है मतलबी और
घर का हर एक शक्श ख़ास होता है
माँ कि बाद पिता ही
समझता है ख़ामोशी औलाद कि
मुश्किलों से बचाने कि लिए
पिता हिम्मत कि दिवार होता है
हर डाट मे प्यार जो रहता था
वो याद बहुत अब आता है
हर बिता लम्हा अब तो बस
आँखों मे आंसू लता है
तस्वीर बसी है दिल मे जो
जीने का हौसला देती है
इसी तरह से बस अब तो
ये वक़्त गुज़र जाता है
आप कि कमी खलती है मुझे
ये खालीपन तड़पता है
बस यु ही यादे दिल मे समेटे
ये वक़्त गुज़र जाता है !।

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